कुछ ऐसे पौधे हैं जिनकी पत्तियों का सेवन हमारे शरीर से कई बीमारियों को बाहर निकालने में मदद करता है और हमारे शरीर पर सकरात्मक प्रभाव डालता है.
घर कितना भी खूबसूरत क्यों ना हो लेकिन बिना पेड़ पौधे के हर एक आशियाना अधूरा सा लगता है. यही कारण है कि आजकल लोग घरों को सुंदर दिखाने के लिए तरह तरह के पौधे लगाते हैं. पौधे से घरों को अब खूब सुंदर बनाया जा रहा है. एक सच ये भी है कि हर पौधे का कोई न कोई औषधीय महत्व होता है. पौधे घर को सजाने के साथ साथ सकारात्मक ऊर्जा को भी लाते हैं.
आपको बता दें कि कुछ पौधे, खासकर जड़ी-बूटी वाले पौधे, हमारे स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने का काम करते हैं. कई पौधों की पत्तियों के सेवन से शरीर की बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं. हम आपको ऐसे 5 पौधों के बारे में बताते हैं, जिनको औषधीय के रूप में हम अपनी अच्छी सेहत के लिए उपयोग में ला सकते हैं.
1 . नीम (Azadirachta indica)
एक चिपरिचित पेड़ है जो 20 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है इसकी एक टहनी में करीब 9-12 पत्ते पाए जाते है। इसके फूल सफ़ेद रंग के होते हैं और इसका पत्ता हरा होता है जो पक्क कर हल्का पीला–हरा होता है।अक्सर ये लोगो के घरों के आस-पास देखा जाता है।
2. तुलसी (ocimum sanctum):
तुलसी एक झाड़ीनुमा पौधा है। इसके फूल गुच्छेदार तथा बैंगनी रंग के होते हैं तथा इसके बीज घुठलीनुमा होते है। इसे लोग अपने आंगन में लगाते हैं ।
3 .हल्दी (curcuma longa):
हल्दी के खेतों में तथा बगान में भी लगया जाता है। इसके पत्ते हरे रंग के दीर्घाकार होते हैं।इसका जड़ उपयोग में लाया जाता है। कच्चे हल्दी के रूप में यह सौन्दर्यवर्द्धक है।सुखे हल्दी को लोग मसले के रूप में इस्तेमाल करे हैं। हल्दी रक्तशोधक और काफ नाशक है ।
4. सदाबहार (Catharanthus roseus):
चिकित्सा के क्षेत्र में इसका अपना महत्त्व है।इसकी कुछ टहनियां होती है और यह 50 सेंटी मीटर ऊंचाई तक बढ़ता है। इसके फूल सफ़ेद या बैगनी मिश्रित गुलाबी होते हैं।यह अक्सर बगान, बलुआही क्षेत्रो, घेरों के रूप में भी लगया जाता है ।
5 . सहिजन / मुनगा(Moringa oleifera):
सहिजन एक लोकप्रिय पेड़ है।जिसकी ऊंचाई 10 मीटर या अधिक होती है । इसके छालों में लसलसा गोंद पाया जाता है। इसके पत्ते छोटे और गोल होते हैं तथा फूल सफेद होते हैं।इसके फूल पते और फल (जोकी) खाने में इस्तेमाल में लाये जाते हैं। इसके पत्ते (लौह) आयरन के प्रमुख स्रोत हैं जो गर्भवती माताओं के लिए लाभदायक है ।
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बदलते मौसम में सेहतमंद रहने के लिए इन सब्जियों को जरूर खाएं |
किचन में मिलने वाली बस एक चीज़ दाल दें अपने पौधों में। पौधे जी उठेंगे।
भारत में मानसून का मौसम आते ही, बाजार में कई तरह की ताज़ी और स्वादिष्ट सब्जियाँ आ जाती हैं। ये सब्जियाँ न केवल आपके खाने का स्वाद बढ़ाती हैं, बल्कि आपके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करती हैं। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि मानसून के मौसम में कौन सी सब्जियाँ आपके लिए सबसे फायदेमंद होती हैं और इन्हें कहाँ से खरीद सकते हैं। मानसून में कौन सी सब्जियाँ खानी चाहिए?
पालक: पालक एक ऐसी सब्जी है जो मानसून के मौसम में खूब पाई जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन, कैल्शियम और विटामिन होता है। पालक का सेवन करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आप सर्दी-जुकाम से बच सकते हैं।
टमाटर: टमाटर में लाइकोपीन नामक एक एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो कैंसर से लड़ने में मदद करता है। मानसून के मौसम में टमाटर खूब मिलते हैं, इसलिए इसका सेवन जरूर करें।
गाजर: गाजर में विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है। मानसून में गाजर का सेवन करने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी और आपकी रात की दृष्टि में सुधार होगा। शिमला मिर्च: शिमला मिर्च में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है। मानसून के मौसम में शिमला मिर्च खूब मिलती है, इसलिए इसका सेवन जरूर करें।
मटर: मटर में प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। यह एक ऐसी सब्जी है जिसे आप साल भर खा सकते हैं, लेकिन मानसून के मौसम में इसकी ताज़गी का अलग ही मज़ा आता है।
बैंगन: बैंगन में फाइबर और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है, जो पाचन और तंत्रिका तंत्र के लिए अच्छा होता है। मानसून के मौसम में बैंगन का सेवन करने से आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी और आप कब्ज से बचेंगे।
आलू: आलू में कार्बोहाइड्रेट और पोटेशियम होता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। मानसून के मौसम में आलू की फसल अच्छी होती है, इसलिए इसका सेवन जरूर करें।
हांलाकि कई लोग जो चातुर्मास का नियम करते है वो हरी सब्ज़ी और बेंगन से परहेज कर सकते है।
मानसून का मौसम हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस मौसम में खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऊपर बताई गई सब्जियाँ आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती हैं। इनका सेवन करके आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं और बीमारियों से बच सकते हैं।
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मोगरा का पौधा बहुत ही अच्छा फूल देता है। अगर आपका पौधा पुराना हो गया है और उसमें अभी भी फूल नहीं आ रहे हैं, तो हो सकता है कि उसमें कोई बीमारी हो गई हो या उसे दोबारा गमले में लगाने की जरूरत हो। ऐसे में क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी मैं आज के लेख में शेयर कर रहा हूँ।
मोगरा का पौधा न केवल खुशबूदार होता है, बल्कि इसे बहुत शुभ भी माना जाता है। इसे घर में रखने के कई फायदे हैं, लेकिन अगर आपका पौधा फूल न दे रहा हो, तो क्या करें?
● मोगरे की प्रूनिंग है बहुत जरूरी:
बिना प्रूनिंग यानी कटिंग के मोगरा सिर्फ दो-चार फूल ही देगा। इस लिए 2 महीने में एक बार प्रूनिंग जरूर करना चाहिए। हमेशा नोड्स के ठीक ऊपर से (जहां तीन से अधिक पत्ते एक साथ निकलें) काटना चाहिए। ऐसे में पत्तों के साइड से नई-नई ब्रांच निकलती है जिससे फूलों की पैदावार ज्यादा हो। अगर आपका पौधा बिल्कुल फ्लावरिंग नहीं दे रहा है, तो हार्ड प्रूनिंग करें। उसकी मेन ब्रांच छोड़कर आस-पास की सभी हार्ड ब्रांच में छंटाई कर दें।
ऐसा करने से पौधा लंबा होने की जगह हरा-भरा होने पर फोकस करेगा।
● फ्लावरिंग के वक्त ना करें ये काम:
अगर आप चाहते हैं कि मोगरा के पौधे में खूब फूल आएं तो फूल आने के दौरान सरसों की खली बिल्कुल न डालें। आप सुप्तावस्था में इसका थोड़ा-बहुत इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर फूल आने का समय है तो पूरी छंटाई बिल्कुल न करें। ऐसे में पौधा बढ़ने में ही सारा समय लगा देगा और पोषक तत्वों से भरपूर खाद देने के बाद भी फूल नहीं खिलेंगे।
प्लांट कटर या कैंची की मदद से पीली और सूखी पत्तियां और सूखी शाखाएं हटाते रहें। साथ ही अगर फूल खिलने के बाद सूखकर गिर गए हैं तो उन्हें हटाते रहें। इस तरह पौधे में नई शाखाएं आएंगी और ज्यादा फूल खिलेंगे।
● मिट्टी या सीमेंट के गमले का प्रयोग:
कुछ लोग मोगरा का पौधा खरीदकर प्लास्टिक के गमले, बाल्टी या टिन के डिब्बे में लगा देते हैं, जो मोगरा के पौधे के लिए ठीक नहीं है। इस पौधे को लगाने के लिए मिट्टी या सीमेंट से बने गमले का ही इस्तेमाल करना चाहिए। या फिर इसे सीधे कच्ची जमीन पर लगाना चाहिए। इससे मोगरा का पौधा स्वस्थ रहेगा और यह अधिक खिलेगा। मोगरा के पौधे को बढ़ने के लिए बहुत ज़्यादा पोषण की ज़रूरत होती है। इस पौधे को लगाते समय मिट्टी में गोबर की खाद, रेत और कोको पीट समान मात्रा में मिलाएँ।
● धूप का रखें ध्यान:
कुछ लोग मोगरा के पौधे को गमले में लगाकर सही जगह पर नहीं रखते हैं, जहाँ उसे पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती। जबकि मोगरा के पौधे को 5 से 6 घंटे की सीमित मात्रा में धूप की ज़रूरत होती है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका घर मोगरा के फूलों की खुशबू से महकता रहे, तो पौधे को ऐसी जगह रखें जहाँ उसे पर्याप्त धूप मिल सके।
● न्यूट्रिएंट्स का रखें ख्याल:
मौसम कोई भी हो, आपको मोगरा के पौधे को हर दो महीने में एक बार खाद जरूर देनी चाहिए। सर्दी और बरसात के मौसम में सुप्तावस्था के दौरान खाद देने से पहले जड़ों को थोड़ा खोदकर 2-3 दिन धूप में रखना चाहिए। आपको इतना खोदना है कि छोटी-छोटी जड़ें दिखाई देने लगें। ऐसा करने से जड़ों में मौजूद फंगस खत्म हो जाती है।
सभी सफेद फूलों को फास्फोरस, जिंक और कैल्शियम युक्त खाद से खाद देने की जरूरत होती है। बाजार में मोगरा के लिए अलग से खाद भी मिलती है, लेकिन आप चाहें तो अलग-अलग खाद जैसे कैल्शियम पाउडर, आयरन पाउडर, लीफ कम्पोस्ट, नीम खली और गोबर की खाद का मिश्रण बनाकर डाल सकते हैं। खाद डालने से पहले हमेशा मिट्टी खोदें और उसमें खाद डालें। खाद डालने के बाद थोड़ा पानी डालें और पौधे को छोड़ दें। साथ ही हर 15 दिन में मिट्टी की गुड़ाई करें। पौधे में एप्सम सॉल्ट डालना भी जरूरी है। इसके लिए एक लीटर की स्प्रे बोतल में एक चम्मच एप्सम सॉल्ट मिलाएं और हर 15 दिन में पौधे पर स्प्रे करें। इससे पौधा स्वस्थ रहेगा और अधिक फूल पैदा करेगा।
● पानी देना भी है ज़रूरी:
दूसरे पौधों की तरह मोगरा के पौधे को भी पानी की ज़रूरत होती है। बरसात के मौसम को छोड़कर हर मौसम में कम से कम एक बार और गर्मी के मौसम में दिन में दो बार पानी दें। पानी की मात्रा पर भी नज़र रखना ज़रूरी है। गमले में इतना पानी न भरें कि वह पानी से लबालब हो जाए। न ही इतना कम पानी दें कि मिट्टी सूखी रह जाए। पौधे को हरा-भरा रखने और फूल ज़्यादा खिलने के लिए पौधे में इतना पानी डालते रहें कि मिट्टी में नमी बनी रहे।
● अगर पौधों में पड़ रहे हैं सफेद चकत्ते:
अगर पौधे की पत्तियों पर सफेद धब्बे हैं, तो इसका मतलब है कि उस पर मकड़ी के कण जैसे किसी कीट ने हमला किया है। यह मोगरा के पौधे को बढ़ने नहीं देता और धीरे-धीरे पौधे की पत्तियां पीली और सफेद होने लगती हैं। ऐसे में आप चाहे कितनी भी खाद का इस्तेमाल करें, पौधे पर फूल नहीं खिलेंगे। इसके लिए आपको सबसे पहले फफूंदनाशक और कीटनाशक का इस्तेमाल करना होगा। अगर कीट ज्यादा नहीं हैं, तो आप नीम के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
■ DIY पेस्टिसाइड
अगर आप बाजार से दवा नहीं खरीदना चाहते है तो सैनिटाइजर की मदद से ही घर पर भी दवा बना सकते हैं। सैनिटाइजर में 40% पानी मिलाकर 5 दिन के अंतराल पर तीन से चार बार पौधों पर स्प्रे करें।
● फूल तोड़ते समय बड्स का ध्यान रखें:
मोगरा के फूल अक्सर गुच्छों में आते हैं और ऐसे में आपको यह ध्यान रखना होगा कि फूल तोड़ते समय कलियाँ भी टूट जाती हैं। ऐसे में पौधे की गाँठ क्षतिग्रस्त हो सकती है जिससे भविष्य में उस गाँठ पर फूल आना बंद हो सकता है।
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